Monday 6 July 2015

जिंदगी ले चल मुझे उस जग में
जहाँ पथरीली राहों ने फूलों की चादर ओढी हो
जहाँ गगन की चोटी गज़रे से सुगंधित हो
जहाँ हिम की चट्टाने मखमल सी रेशम हो
झरनो में जहाँ अमृत बहता हो |

ज़िंदगी उस मोड़ पर मुड़ जाना
जहाँ पेड़ों की शाखा फलो के ज़ोर से झुकती हों
जहाँ फुलवारी में रंगों की वर्षा होती हो
जहाँ कदम कदम पर तितली की फ़ौज़े होती हों
सूरज की लौ भी जहाँ पानी सी ठंडी होती हों |

ज़िंदगी रुक जाना उस चौखट पर
जहाँ पवन केसर सी सुगंधित हो
जहाँ की वाणी शहद सी मीठी हो
जहाँ ममता की मूरत साक्षात मिलती हो
जहाँ प्रेम रस दिलों में घुलता हो
भाईचारा जहाँ हर दिल में बसता हो |

ले चल ज़िंदगी मुझे उसके पास
जो औरत को मनुष्य ही समझता हो
जो बहन की रक्षा खुद से पहले करता हो
जो माँ के साए को स्वर्ग समझता हो
जो बेटी को लड़के से कम ना समझता हो ||

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