Monday 1 December 2014

*सिसकियां*
रह रह के आ जातीं-
बार, दो बार
यादों की, हाय!...
सिसकियाँ

कभी इनकी, कभी उनकी
मुलाक़ातों की
ये अलबेली
सिसकियाँ
हृदय कौंधती
बातों की,
वो अनोखी
सिसकियाँ
उफ़, ये सिमटती
बटुरती,
हिचकोलियों वाली
सिसकियाँ |

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