Monday 1 December 2014

बाबा, कहो आज कौन सी कहानी सुनोगे?
वो तोते वाली, या आज फिर परिलोक ले जाओगे !
कहो बाबा, आज कहा घुमाने ले जाओगे?...
पास वाले बगीचे में, या कंधे पर मेला दिखाने ले जाओगे !
कहो आज कितनी गेंदो मे मुझे आउट कर पाओगे?
और कितनी बार हर खेल में, तुम 'चोर' बन जाओगे !
बाबा, कहो कब तक मुझे उंगली पकड़, बाज़ार ले जाओगे?
कब तक मुझे पालने में यूँही झूला झुलाओगे!
कहो, किस रोज़ मुझे टाफी दिलाने ले जाओगे?
आफ़िस से आकर फिर कब मुझे स्कूटर से टहलाओगे!
चुप छुपा कर किस क्रिस्मस ,मेरे मोज़े में तोहफे डाल जाओगे?

सुनो बाबा, कब तक अपने सपने तोड़ कर,
मेरे अरमान सजाओगे?
किस रोज़ मुझे मिलने तुम फिर धीरे से आओगे?
काम छोड़ कर कब तक मुझसे, घंटो गप्पे लड़ाओगे!
बेटा कहकर फिर कब मुझको पुचकारने आओगे?
बाबा, वो कहते हैं, बेटी सयानी है ;
फिर किस रोज़ तक तुम मुझको 'बच्चा' कहते जाओगे?
बाबा, कह दो कब तक हर मुसीबत
मुझको अपने साए मे छुपलाओगे?
कह देना बाबा तुम अम्मा से भी,
बेटी पराई नही करोगे ;
बस हर दम साथ तुम मेरे-ऐसे ही रहोगे |
किस रोज़ बाबा तुम फिर मुझे गले लगाने आओगे
कह दो किस रोज़ तुम मुझे नयी गुड़िया दिलवाओगे?
कब तक हर ठोकर से तुम मुझको ऐसे ही बचाओगे?
बाबा हर ग़लती जो डाँट लगाई,
माफी उसकी दे देना,
बस हो तुमसे इतना तो-
हर जन्म मुझे अपनी गोद में लेना !!

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