Monday 1 December 2014

* एसिड अटैक*
आज उसको देखने लड़के वाले आने वाले थे | सुबह से उसने हज़ार बार शीशे के सामने खड़े होकर अपने आपको निहारा होगा | कभी पीला गुलाबी सूट पहन परान्दा लगा कर देखती, तो कभी नया वाला अपना धनी पटियाला पहन कर इठलाती | कभी आँखों के नीचे मोटा काजल लगती तो कभी आँखो को सूनी ही रहने देती | बालों मे कभी चिमटियों का भंडार होता तो कभी उन्हे हवाओं के संग उड़ने देती | ओढनी को कभी सिर पर रखती तो कभी कंधे पर समेट लेती |
आते जाते हौले से आईने मे खुद को देख मुस्कुरा रही थी | कभी होठों पर ...सीटी होती तो कभी पुराने गानों के लफ्ज़ | आज तो खाने में नमक भी ज़यादा कर दिया था उसने | पानी भी ग्लास की सीमा से बाहर तक भर दिया था | लज्जा तो रही ही थी पर कई दिनों के बाद खुश थी |
क्या हुआ अगर एसिड अटैक के बाद उसकी शक्ल पर दाग पड़ गये | उसने अपनी एक आँख खो दी | पर जज़्बा तो कइयों से ज़्यादा था उसमें | आज भी खुश तो रहती है |
कई लड़कों ने उसकी शक्ल देख कर रिश्ते के लिए मना कर दिया था | शायद ही किसी ने उसके दिल में झाँक कर देखा था | इन सब बातों से निराश नहीं हुई पर वो | कभी हौसला नहीं झुका उसका |
ये पहला लड़का था जिसने उसकी तस्वीर देख कर उससे मिलने की इच्छा जताई थी | जिसने उसे पहली बार ही देख कर कहा था की शायद उसे और लड़कियों में शक्ल तो मिल जाएगी, पर ऐसा सच्चा इंसान नहीं मिलेगा |
एक सलाम उनके नाम !!

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