Monday 1 December 2014

*वो*
सिर पर एक पानी का मटका और दूसरे हाथ में नन्ही सी जान को कस कर थामे थी | पाँव मे बिछुवे, राजस्थानी कड़े और पुराने नागरे | एक लंबा पीला बेरंग सा घागरा, उपर एक फीका नीला ब्लाउस| सर से ली हुई कढ़ी धानी चूनर दांतो से दबाये हुए थी | गोरी नाज़ुक त्वचा, बड़ी नाथ, तीखी भूरी आँखे, गोल माथबेंदी, बाजुओं मे कड़े, और सीने से लगा एक भारी हार |
कड़कती धूप, जलती रेत ,छलकता पानी, तापता रेगिस्तान, और वो !

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